
उत्तर प्रदेश की राजनीति अब ब्लैकबोर्ड से होकर गुजर रही है! योगी सरकार के सरकारी स्कूल मर्जर के विरोध में समाजवादी पार्टी (सपा) ने ‘पीडीए पाठशाला’ शुरू की, पर अब ये “पाठशाला” सीधे एफआईआर की किताब में दर्ज हो गई है।
भदोही में ‘पढ़ाई’ की नई परिभाषा: A से अखिलेश, D से डिंपल!
29 जुलाई को भदोही जिले के सिकंदरा प्राथमिक विद्यालय में सपा नेत्री अंजनी सरोज अपनी टीम के साथ पहुंचीं। बच्चों को कॉपी, रबर, कटर बांटे गए — यानी “स्कूल का माहौल” तो बनाया गया, लेकिन पाठ्यक्रम थोड़ा सियासी हो गया।
नारा: “समाजवादी पार्टी आएगी, पुनः पाठशाला खुलवाएगी!”
बच्चों से नारे लगवाए गए, A से अखिलेश और D से डिंपल यादव पढ़ाया गया। इतना ही नहीं, स्कूल की दीवारें भी समाजवादी पोस्टरों से “शोभायमान” कर दी गईं।
एफआईआर दर्ज, जांच शुरू: शिक्षा का सियासी टेस्ट!
प्रधानाध्यापक सभाजीत यादव ने शिकायत दर्ज कराई और वीडियो साक्ष्य पुलिस को सौंपा। थाना चौरी प्रभारी रमेश कुमार ने एफआईआर की पुष्टि की और कहा, “मामला गंभीर है। जांच जारी है।” डीएम शैलेश कुमार ने भी बीएसए, सीडीओ और एसडीएम की संयुक्त टीम से जांच करवाई।
पता चला:
-
स्कूल का ताला तोड़ा गया
-
बिना अनुमति कक्षा चलाई गई
-
चाबी स्कूल को खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) ने दी थी
पढ़ाई के नाम पर राजनीति?
सवाल अब यही है कि क्या बच्चों की मासूम क्लासरूम को राजनीतिक रणभूमि बना दिया गया है?
क्या अब हर पार्टी “A से Agenda, B से Booth Management” पढ़ाएगी?
अगर यह ट्रेंड चल पड़ा, तो अगली कक्षा में शायद ये भी सिखाया जाएगा:
-
P से प्रचार,
-
M से मैनिफेस्टो,
-
और C से चंदा!
अब परीक्षा में ये पूछा जा सकता है:
Q. U से क्या आता है?
Ans: “Uniform नहीं, अब ‘UP Politics’ आता है!”
पाठशाला या प्रचारशाला?
शिक्षा और राजनीति के बीच की रेखा पहले ही धुंधली थी — अब शायद वो मिट चुकी है। बच्चों के भविष्य का पाठ पढ़ाने के नाम पर पार्टी एजेंडा चलाना न तो नैतिक है, न ही संवैधानिक।
‘पढ़ो और बढ़ो’ अब बदल कर हो गया है — ‘पढ़ाओ और वोट दो’?